मेरे अँधेरे ख्यालों में,
वो सविता लगती है;
मैं कुछ भी लिख दूं,
मेरी माँ को कविता लगती है...
मैंने कुछ भी सोच लिया,
उसका आसमां बन गया,
मेरा हर ख्वाब उसका जहां बन गया...
नादान है वो,
और कभी नासमझ भी,
की कितना दर्द रखती है
वो मेरे लिए
उसे नहीं पता
मेरे पास सिर्फ दर्द है
माँ तेरे लिए
मेरी हर बात पे उसे गुस्सा नहीं आता
पर वो जताती है
इंसानों की भीड़ में
रहने लायक बनती है
पता है उसे
कभी धोखा नहीं दूंगा
फिर भी पूरा विश्वास
नहीं कर पाती है....
हर वक़्त
उदास और अकेले ख्यालो में
खोया रहता हूँ...
इन्ही अँधेरे ख्यालो में
वो सविता लगती है...
मैं कुछ भी लिख दूं,
मेरी माँ को कविता लगती है...
savita stands for surya (the Sun)
वो सविता लगती है;
मैं कुछ भी लिख दूं,
मेरी माँ को कविता लगती है...
मैंने कुछ भी सोच लिया,
उसका आसमां बन गया,
मेरा हर ख्वाब उसका जहां बन गया...
नादान है वो,
और कभी नासमझ भी,
की कितना दर्द रखती है
वो मेरे लिए
उसे नहीं पता
मेरे पास सिर्फ दर्द है
माँ तेरे लिए
मेरी हर बात पे उसे गुस्सा नहीं आता
पर वो जताती है
इंसानों की भीड़ में
रहने लायक बनती है
पता है उसे
कभी धोखा नहीं दूंगा
फिर भी पूरा विश्वास
नहीं कर पाती है....
हर वक़्त
उदास और अकेले ख्यालो में
खोया रहता हूँ...
इन्ही अँधेरे ख्यालो में
वो सविता लगती है...
मैं कुछ भी लिख दूं,
मेरी माँ को कविता लगती है...
savita stands for surya (the Sun)
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