रहें मशरूफ हमेशा, हसरतें जगाने में,
जाने क्या कमी रह गयी, इश्क निभाने में;
तनहाइयों में रोते रहे रात भर, अक्सर,
दिल फिर भी दुखा उन्हें नींद से जगाने में;
हर नींद, हर ख्वाब उनके नाम कर दिया,
कोई कमी न छोड़ी उन्होंने रुलाने में;
चाहा भी कि याद न आयें वो कभी,
पर जान निकल रही है, उन्हें भुलाने में;
(एक दीदार की हसरत है,
इक आग़ोश की आरज़ू है,
हर लम्हा तरसतें हैं,
नजदीकियों की जुस्तजू है;)
डुबो देना पड़ता है, समंदर-ए-शराब में,
सुकून की हसरतें थी, आज मयखाने में;
खुदा सा इल्म था साकी पर,
खुद परेशां है वो, इतना पिलाने में;
हर आहट पे जाग उठता है "परिंदा" ,
बड़ी मुश्किल आती है,उसे सुलाने में;